Bata कैसे बनी India की No. 1 Brand? | Bata Shoes Success Story In Hindi

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Bata Shoes Success Story:
दोस्तो Bata Company का नाम तो आपने सुना ही होगा. अगर आपको नही पता तो मैं आपको बता दू यह एक Shoes कंपनी है. जो की अपने Shoes की मजबूती को लेकर बहुत फेमस है. दोस्तो आपको जानकर हैरानी होगी की Bata हमारे भारतवर्ष का हिस्सा नहीं है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको Bata Shoes Company के बारे में ही बताने वाले है तो चलिए जानते है.

Bata Company की सफलता कहानी (Bata Shoes Success Story)

22 अगस्त 1894 यूरोप के देश Czechoslovakia में एक व्यक्ति जिसका नाम Tomas Bata था वो अपनी Regular जिंदगी उक गया था. इसीलिए अब उन्हे अपना कोई बिजनेस खोलना था लेकीन Tomas Bata के प्रतिभा के नाम पर यही था कि वो जूते बहुत अच्छे बनाते थे यानी की अपनी देश की भाषा में कहे तो एक बेहतरीन मोची थे. इसी कारीगरी में अपनी किस्मत आजमाने के लिए Tomas Bata इस जूते बनाने के व्यापार में उतरने के लिए तैयार हो जाते है.

तैयारी पूरी होने के बाद जो पैसे उन्हे चाहिए थे वो उनके पास नहीं थे और उन्हें यकीन था कि उनके पिता उन्हें इतने पैसे नही देंगे. इसीलिए वो अपनी मां के पास गए. उनकी मां ने शुरुआत में तो पैसे देने से मना कर दिया लेकिन बाद में उन्हें Tomas की जिद्द पर उसे 320 डॉलर दे दिए. इसी 320 डॉलर के साथ शुरू हुई कहानी Bata की. इसी पैसे से Tomas एक सिलाई मशीन और कच्चा माल खरीद कर जूते बनाने लगे.

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शुरुआत में तो उनके जूते खरीदने वाले लोग बहुत कम थे. इसीलिए शुरुआत में तो उनका ये धंधा फ्लॉप रहा लेकिन लगातार जूते बनाने और मजबूत जूते बनाने के कारण धीरे धीरे उनकी बिक्री में सुधार होने लगा इसीलिए लोग Bata के जूतों के लिए आर्डर देने लगे. बढ़ते Orders को देखकर Tomas ने सोचा की यही सही समय है कि बिजनेस को बढ़ाया जाए. जिसके लिए उन्होंने पैसे कर्ज लेकर बिजनेस में लगा दिए.

पैसों के कारण बिजनेस थोड़ा बड़ा जरूर हुआ लेकिन मार्जिन फिर घटने लगा. जो भी कमाई होती वो पूरी तरह कर्ज को चुकाने में निकल जा रही थी. इसीलिए कंपनी जल्द ही दिवालिया हो गई और ऐसे में Tomas Bata और उनके दो साथी जिनके साथ उन्होंने इस बिजनेस को शुरू किया वो तीनो Czechoslovakia छोड़कर इंग्लैंड आ गए.

3 साल एक मजदूर के रूप में काम किया

यहां आकर उन्होंने एक जूता कंपनी में बतौर एक मजदूर काम करना शुरू कर दिया क्योंकि उन लोगो को आता ही था सिर्फ जूते बनाना. बतौर मजबूर काम करते हुए Tomas Bata के मन में अभी भी अपनी कंपनी का मालिक बनने का सपना खत्म नही हुआ था इसलिए उस कम्पनी में काम करते हुए ज्यादा ध्यान इस बात पर रखने लगे कि आखिर ये कंपनी अपनी मार्केटिंग और बिजनेस को डील कैसे करती है.

करीब 3 साल की अपनी इस नौकरी में Tomas अब फिर से तैयार थे अपने देश वापस जाने की ताकि वो जूते को प्रेम को फिर से व्यापार की शकल में ढालकर अपना नाम बना सके. इस बार उन तीनो ने जितने पैसे कमाए थे उन सबको मिलाकर फिर से बिजनेस शुरू किया. जिसके लिए उन्होंने 2 कमरे की जितनी जगह किराए पर लेकर काम शुरू कर दिया. इस बार उनके मजबूत जूते मार्केट में जगह बनाने लगे क्योंकि अब उन्होंने जूते बनाने के साथ साथ ये भी सिख लिया था कि जूते को बेचना कैसा है?

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विश्व युद्ध के दौरान Bata ने कैसे की बढ़ोतरी?

Bata का बिजनेस इस बार ऐसा चला कि देखते ही देखते कंपनी ने देश में अपने प्रोडक्ट को लोगो के पैरो तक पहुंचाना शुरू कर दिया. उनकी तरक्की का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि दो कमरे से शुरू हुई इस कंपनी में जल्द ही 600 लोग काम करने लगते है और 1912 आते आते कंपनी के हाथ से काम बंद हो जाता है और उसकी जगह मशीनों से जूते बनने लगते है. सब कुछ सही चल रह था पैसे भी आ रहे थे. व्यापार भी बढ़ रहा था लेकिन तभी एक दौर आया जिसने पूरे यूरोप के व्यापार को निगल लिया था. यह दौर था पहले विश्व युद्ध का जिसमे मानो पूरी दुनिया थप सी हो गई थी.

लेकिन इस बार Bata के पास यह ऑप्शन नही था की वो विश्व युद्ध में अपने व्यापार को यूंही बर्बाद हो जाने दे इसलिए उन्हे ये बात समझ में आ गई कि इस पैसे की कमी वाले समय में कोई भी महंगे जूते तो नही पहन पाएगा लेकिन इस दौर में भी जूते तो सभी को चाहिए होंगे इसीलिए उन्होंने एक बड़ा फैसला लेते हुए यह तय किया कि जूते की कीमत में भरी गिरावट करके उसे कम दाम पर ही वो लोगो को बेचेंगे. जिससे लोग जूते पहनना तो न छोड़े.

Tomas Bata के जीवन का ये फैसला ही सबसे बड़ा फैसला साबित हुआ क्योंकि जहा बाकी कंपनियां विश्व युद्ध में बर्बाद हो रही थी. वही Bata की बिक्री बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह सस्ते दाम में ही लोगो तक मजबूत जूते पहुंचा रही थी. इसका फायदा Bata को ऐसा हुआ की उनकी बिक्री में 15% की बढ़ोतरी हो गई. जबकि जिस समय किसी भी कंपनी को इतना फायदा नहीं हो रहा था.

उसके बाद क्या था कंपनी को पूरे देश से ऑर्डर मिलने शुरू हो गए. इसके बाद कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. Tomas Bata अपनी कंपनी को ओर बड़ा करने में लग गए थे और वो लगातार यही काम कर रहे थे जिसके लिए उन्होंने सबसे पहले अफ्रीका की मार्केट को टारगेट किया क्योंकि अफ्रीका में इतनी गरीबी थी कि वहा के लोग जूते चप्पल नही पहनते थे. इसीलिए Bata ने अपने वही सस्ते दाम वाले जूते अफ्रीका में इंट्रोड्यूस किए.

जिससे जल्द ही उन्हे अफ्रीका के रूप में एक बड़ा मार्केट मिल गया. अफ्रीका में मिली सफलता के बाद Bata अब Rubber, Chemical और Tyer बनाने में लग गई. तब ही साल 1932 में Tomas Bata एक प्लेन क्रैश के शिकार हो गए. Tomas Bata के मरने के समय कंपनी अपने आप का विस्तार कर चुकी थी.

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भारत में Bata ने कैसे बनाई इतनी बड़ी कंपनी

उसके बाद पूरी दुनिया में Bata की 120 Branches हो गई थी. लेकिन इसी बीच गुस्से में आता है Tomas Bata का बेटा जिसने बिजनेस को ओर बढ़ाने का सोचा था. इस सिलसिले में वो भारत में Row Material लेने आया था लेकिन जब उसने भारत में बंगाल के लोगो को देखा तो उसे लगा कि जिस देश के पास जूते के लिए इतना कच्चा माल है वही के लोग नंगे पैर क्यों है. इसी बात ने Tomas Bata के बेटे को मजबूर कर दिया कि वो भारत में एक फैक्ट्री लगाए और उसने ऐसा ही किया.

साल 1931 में पहली बार इंडिया गेट में Bata के प्रोडक्शन के लिए Konar जिले में एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई. फैक्ट्री तो छोटी थी लेकिन जब लोगो को Bata के अच्छे क्वालिटी के जूते मिलने लगे तो उन्होंने इसे सस्ते दामों पर खरीदकर पहना शुरू कर दिया और देखते ही देखते Bata ने एक साल में भारत में अपना प्रोडक्शन डबल कर दिया.

Bata की शोहरत इस कदर हो गई की Konar को उस समय लोग Bata Nagar के नाम से जानने लगे क्योंकि Bata ने इंडिया में अपना नया मार्केट बनाने के लिए जो सबसे अच्छी मार्केटिंग अपनाई थी वो ये थी कि उसने आजादी की लड़ाई को भांपते हुए. अपने प्रोडक्ट को बिलकुल देशी तौर पर लोगो के सामने रखा. जिससे कही से भी लोगो को ये नहीं लगा की ये भारत की कंपनी नहीं है.

उसी दौर में भारत में Tetanus की बीमारी फैली हुई थी और Bata ने इस बीमारी को अपना हत्थ्यार बना लिया और लोगो के सामने यह Ad चलाया की Tetanus की बीमारी से बचने के लिए जूते पहनिए Bata. इस तरह Bata ने इंडिया के रंग को अपने रंग में रंग लिया. 1939 के आते आते कंपनी के पास भारत के करीब 4000 Employee काम करने लगे थे. जो यह दिखाता है की कम्पनी ने कितनी जल्दी Growth पा ली थी.

पूरी दुनिया में Bata के कितने Retail Store हैं?

आज Bata के लिए भारत एक बहुत बड़ा मार्केट है. इसके अलावा पूरी दुनिया के करीब 90 देशों में Bata कंपनी के जूते और चप्पल बिकते है. अगर Total Store की बात करे तो Bata के पास करीब 1500 Retail Store है और करीब 10,000 Employee आज Bata में काम करते है. 2020 के आंकड़ों को और नजर डाले तो Bata ने साल करीब 6 करोड़ जूते का सेल किया था. अब आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि 320 डॉलर से शुरू हुई कंपनी  जो दो बार बर्बाद हुई वो आज कितनी बड़ी कंपनी बनकर फुटवियर इंडस्ट्री में राज कर रही है.

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FAQ : Bata Shoes Success Story

बाटा ने पहली कम्पनी भारत में कहाँ खोली थी?

साल 1931 में पहली बार इंडिया गेट में Bata के प्रोडक्शन के लिए Konar जिले में एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई.

बाटा कंपनी की स्थापना कब हुई?

24 अगस्त 1894, Zlin, Czechia.

बाटा कंपनी कौन से देश की है?

Zlín, Czechia

बाटा कंपनी का मालिक कौन है?

टॉमस बाटा

निष्कर्ष(Bata Shoes Success Story)

दोस्तो आज हमने आपको Bata Company Success Story के बारे में बताया है हमे आशा है कि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा यदि अच्छा लगा है तो शेयर जरूर करे और ऐसी ही Amazing Information के लिए हमारी The Hindi Fact का नोटीफिकेशन चालू कर ले और आपका जो भी सवाल है नीचे दिए कॉमेंट बॉक्स में पूछ सकते है.
धन्यवाद।


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