भानगढ़ किले का इतिहास (Bhangarh Story In Hindi) | Bhangarh Fort In Hindi

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दोस्तों हमारे भारत के Haunted Places की जब बात होती है तब उसमे भानगढ़ किले (Bhangarh Fort in Hindi) का नाम सबसे ऊपर आता है। राजस्थान में मौजूद इस 500 साल पुराने किले का लोगो में कुछ ऐसा खोफ है की यहां पर लोग दिन में भी जाने से कतराते है और यहां तक की कहा जाता है कि रात के समय में जो कोई भी इस किले में जाता हैं वो फिर कभी भी वापस नहीं आता। इसलिए सरकार ने भी खुद बकायदा बोर्ड लगाकर रात के के समय में इस किले में जाने से प्रतिबंध लगाया हुआ है।

और दोस्तो खोफ का आलम तो यह है की रिजर्व्ड एरिया घोषित किए जाने पर भी भारतीय पुरातत्व विभाग ने डर की वजह से आजतक यहां पर अपना ऑफिस नही बनाया है तो फिर भानगढ़ के इस किले का इतिहास क्या है और आखिर क्यों आज इसको इतना खौफनाक और भूतिया माना जाता है। ये सब हम आज के इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे।

Bhangarh किले का इतिहास क्या है?
(History Of Bhangarh Fort)

Bhangarh Fort History In Hindi (3)

दोस्तो भानगढ़ के इस किले का निर्माण आमेर के शासक राजा भगवान दास ने सन 1573 में अपने छोटे बेटे माधव सिंह के लिए करवाया था। उस समय यह किला पुरी तरह से खुशहाल हुआ करता था। और इस किले के अंदर व इसके चारो तरफ लोगो की घनी आबादी रहा करती थी। लेकिन फिर अचनाक एक ऐसी अनहोनी हुई जिससे की इस किले की खुशियां हमेशा के लिए खत्म हो गई (Bhangarh Fort In Hindi).

और एक समय खुशहाल नजर आने वाला यह विशाल किला एक भूतिया जगह में बदल गया। लोगो के मन में इस किले का ऐसा खोफ बैठ गया। लोगो ने इसे छोड़ना शुरू कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ की यह किला और इसके आसपास का इलाका पूरी तरह से विरान हो गया। यहां तक की आज भी यह किला सैकड़ों सालों से इसी तरह से विरान पड़ा हुआ है।

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जो की दिखने में बेहद ही खोफनाक नजर आता है। इसके बारे में लोग यह बताते है कि इस किले से लोगो के चीखने चिलाने, रोने और घूंगरो की रहस्यमई आवाज़ें आती है। साथ ही बहुत से लोग यह भी दावा करते है कि जो कोई भी इस किले में रात के समय में गया है वो फिर कभी भी वापस लौटकर नही आया है।

और यही वजह है कि दिन में भी बहुत कम लोग ही इस किले के अंदर जाने की हिम्मत कर पाते है। अब ऐसे में ये सवाल तो मन में जरूर आता है आख़िर इस किले के साथ ऐसा क्या हुआ था कि इसको इस तरह से शापित और भूतिया माना जाने लगा (Bhangarh Fort In Hindi).

असल में इस किले के भूतिया होने के पीछे लोगो द्वारा एक नहीं कई अलग अलग कहानियां बताई जाती है। लेकिन उन सभी में सबसे फेमस जिसपे लोगो द्वारा सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है वो है राजकुमारी रत्नावती की कहानी।

Bhangarh किले को किसने और क्यों श्राप दिया?

कहते है कि जब इस किले का निर्माण करवाया गया था तब इसमें रत्नावती नाम की एक बेहद खूबसूरत राजकुमारी रहा करती थी। उस समय राजकुमारी रत्नावती की उम्र 18 साल थी और उनकी खूबसूरती की चर्चाएं दूर दूर तक हुआ करती थी। उनकी सुंदरता की वजह से ही बहुत सी अलग अलग सियाशतो के राजकुमार उनसे शादी करने की अपेक्षा रखते थे।

जिसके चलते ही राजकुमारी रत्नावती के लिए शादी के प्रस्ताव आते ही रहते थे। लेकिन राजकुमारी ने तब तक किसी के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था। अब एक बार राजकुमारी अपनी कुछ सहेलियों के साथ खरीदारी के लिए बाजार गई हुई थी और बाजार में वो इत्र की एक दुकान पर रुकी और वहा से अपने लिए इत्र खरीदने लगी इतने में ही उस दुकान से कुछ दूरी पर खड़े सिंघिया सेवड़ा नाम के एक व्यक्ति की नजर राजकुमारी पर पड़ी।

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सिंहिया सेवड़ा उसी राज्य का रहने वाला था और वो काले जादू का महारथी माना जाता था। राजकुमारी रत्नावती की सुंदरता को सिर्फ एक नजर में देखते ही सिंघिया उन पर पूरी तरह से फिदा हो गए। और वो टकटकी लगाए राजकुमारी को घूरता रहा और उसी पल उसने अपने मन में यह तय कर लिया कि वो राजकुमारी को किसी भी कीमत पर हासिल करके रहेगा।

अब क्योंकि वो तंत्र मंत्र और काला जादू जानता था। इसलिए उसने राजकुमारी के पसंद किए हुए इत्र की बोतलों में से एक एक बोतल चुपके से उठाई और उस बोतल पर कुछ तंत्र मंत्र करके उसे धीरे से वापस उसी जगह पर रख दिया। असल में वो अपने तंत्र मंत्र विद्या की मदद से राजकुमारी को अपने वश में करना चाहता था। और उसका यह प्लान काफी हद तक सफल भी हो गया। क्योंकि राजकुमारी ने उसे इत्र के साथ छेड़ छाड़ करते हुए देखा भी नहीं था (Bhangarh Fort In Hindi).

Bhangarh Fort History In Hindi (3)

और फिर राजकुमारी इत्र की बोतल लेकर अपने किले की तरफ वापस जाने लगी। साथ ही सिंघिया सेवड़ा भी छिप छिप कर राजकुमारी का पीछा करने लगा। हालाकि अभी राजकुमारी कुछ दूर पहुंची ही थी तभी उनकी एक सहेली ने उन्हें बताया की एक अंजान वयक्ति ने इत्र की बोतल पर तंत्र मंत्र किया हुआ है।

असल में राजकुमारी की उस सहेली ने सिंघिया सेवड़ा को इत्र की बोतल पर काला जादू करते हुए देख लिया था। लेकिन वो डर की वजह से दुकान में कुछ भी नहीं बोल पाई थी। अब राजकुमारी को जैसे ही काले जादू की बात पता चली। उन्होंने वो इत्र की बोतल रास्ते में पड़े हुए एक विशाल आकार के पत्थर पर दे मारी।

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पत्थर पर पड़ते ही वो बोतल टूट गई और सारा इत्र उसी पत्थर पर बिखर गया। और दोस्तो इस तरह से इत्र पर किया गया वो काला जादू उस पत्थर में आ गया। इसके बाद से वो पत्थर खुद ब खुद लुढ़कते हुए सिंघिया सेवड़ा की तरफ बढ़ने लगा।

दरअसल सिंघिया ने उस इत्र पर ऐसा जादू किया था कि जो भी कोई उस इत्र को लगाता वो खुद ही उस तांत्रिक सिंघिया की तरफ खींचा चला जाता। जो की वो इत्र पत्थर पर लग गया था इसलिए वो पत्थर तेजी से उसकी तरफ ही बढ़ने लगा और पत्थर ने लुढ़कते हुए उस तांत्रिक सिंघिया को कुचल दिया।

जिससे की उसकी मौत हो गई। लेकिन मरने से पहले सिंघिया सेवड़ा ने यह श्राप दे दिया कि राजकुमारी समेत इस किले में रहने वाले सभी लोग जल्द ही एक दर्दनाक मौत मरेंगे और उनकी आत्माएं हमेशा के लिए इस किले में भटकती रहेगी। इस हादसे के कुछ ही समय बाद Bhangarh और उसके करीबी राज्य अजबगढ़ के बीच में एक युद्ध छिड़ गया था।

और दोस्तो अजबगढ़ की सेना बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली थी। इसके चलते उनके सिपाही bhaangarh के उस किले में घुस गए और किले में मौजूद हर एक पुरुष, महिला और यहां तक की उनके बच्चो को भी मौत के घाट उतार दिया।

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जिसमे की राजकुमारी रत्नावति भी नहीं बच पाई थी। और दोस्तो कहते है कि इस खतरनाक कत्लेआम के बाद से ही यह किला शापित हो गया था। और उस नरसंघार में मारे गए मासूम लोगो की आत्माए किले के अंदर ही भटकने लगी थी। दरअसल किले के आसपास रहने वाले लोगो को अंदर से अजीब अजीब सी आवाजें आती थी और साथ ही किले की तरफ जाने वाले लोगो के गायब होने की घटनाएं भी अक्सर सुनने को मिलती रहती थी (Bhangarh Fort In Hindi).

और दोस्तो इन सभी चीज़ों के चलते ही किले के आसपास रहने वाले लोगो ने भी अपनी बस्तियां छोड़कर दूसरी जगह पर रहना शुरू कर दिया। और देखते ही देखते यह किला और इसके आसपास का इलाका पूरी तरह से विरान हो गया।

भानगढ़ किले को बाबा बालकनाथ ने क्यों श्राप दिया ?

Bhangarh Fort History In Hindi (3)

इसके अलावा दोस्तो इस किले के भूतिया होने के पीछे एक ओर कहानी यह भी बताई जाती है की जिस समय यह किला बनाया जा रहा था। तब इस किले की जमीन के पास ही बाबा बालकनाथ नाम के एक साधु रहा करते थे। और बाबा को जब इस किले के बनाने की खबर मिली तो तब उन्होंने राजा भगवान दास के पास यह संदेश भिजवाया कि वे अपने किले को इतना ऊंचा न बनवाए कि उसकी परछाई  मेरी कुटिया तक पहुंच जाए।

अब राजा भगवान दास ने बाबा की उस बात को गभीरता से नहीं लिया। और जब यह किला बनकर तैयार हुआ। तब इसकी परछाई बाबा बालकनाथ की कुटिया तक पहुंच गई। और दोस्तो उस परछाई को देखकर बाबा क्रोधित हो गए। और गुस्से में उन्होंने श्राप दे दिया कि Bhangarh पूरी तरह से तबाह हो जायेगा।

और दोस्तो बहुत से लोग यह भी मानते है की Bhangarh किले की यह हालत बाबा बालकनाथ के उसी श्राप की वजह से ही हुई है।

क्यों भानगढ़ किले को श्रापित बताया गया?

इसके अलावा एक कहानी तो यह भी बताई जाती है की Bhangarh में एक युद्ध हुआ था। जिसमे की भानगढ़ के सिपाही पूरी तरह से हार गए थे। लेकिन भानगढ़ के राजा और उनके परिवार दूसरे लोग अपनी जान बचाकर वहा से भागने में कामयाब रहे।

अब क्योंकि उन्होंने किले के अंदर अपना काफी सारा खजाना छुपाया हुआ था। इसीलिए दुश्मनों से उस खजाने को छुपाने के लिए एक झूठ फैलाया गया कि यह किला पुरी तरह से श्रापित है। और कोई वयक्ति इस किले के अंदर जायेगा तो उसकी तुरंत ही मौत हो जायेगी। और दोस्तो इस तरह से खजाने को बचाने के लिए फैलाई गई यह अफवाह लोगो ने सच मान ली और भानगढ़ का यह किला हमेशा के लिए भूतिया समझा जाने लगा (Bhangarh Fort In Hindi).

वैसे वजह जो भी रही हो इस किले को भूतिया बनाने में हमारी सरकार का काफी हाथ रहा है। दरअसल कानून में भूत प्रेत और अन्य बुरी आत्मा जैसे किसी भी चीज को कोई जगह या फिर मनायता नहीं दी गई है। और आज तक किसी भी कोर्ट ने अपना कोई भी फैसला भूतप्रेत को ध्यान में रखकर नहीं सुनाया है(Bhangarh Fort In Hindi).

इसके बावजूद भी सरकार द्वारा किले के बाहर बोर्ड लगाकर और उसपर लिखना कि रात में इस किले में जाना मना है और भारतीय पुरातत्व विभाग का यहां पर अपना ऑफिस न बनाना ये सभी चीजे कही न कहीं इस बात की तरफ इशारा करती है। कि हमारी सरकार भी भूतप्रेत में विश्वास रखती है और दोस्तो सोचिए जब सरकार की तरफ से ही ऐसे कदम उठाए जाएंगे तो फिर जाहिर सी बात है कि आम लोग तो इस किले को सच में ही श्रापित समझेंगे।

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दोस्तो आपको भानगढ़ किले के बारे में जानकर कैसा लगा और क्या आप भी भूतप्रेत में विश्वास रखते है मुझे कॉमेंट सेक्शन जरूर बताएगा और ऐसे ही Interesting Information के लिए हमारी साइट The Hindi Fact के Notification Bell पर किल्क कर लें ताकि आपको हमारे नये Fact का सबसे पहले Update मिल जाए। और आपका कुछ भी सवाल हो मुझे कॉमेंट करो उसका उत्तर आपको जरूर मिलेगा।
ध्यनवाद।

FAQ :-

भानगढ़ का किला कब बना था?

भानगढ़ किले का निर्माण आमेर के शासक राजा भगवान दास ने सन 1573 में अपने छोटे बेटे माधव सिंह के लिए करवाया था।

भानगढ़ का किला कौन से जिले में है?

राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर है।

भानगढ़ में रात को क्यों नहीं जा सकते?

इसके बारे में लोग यह बताते है कि इस किले से लोगो के चीखने चिलाने, रोने और घूंगरो की रहस्यमई आवाज़ें आती है। साथ ही बहुत से लोग यह भी दावा करते है कि जो कोई भी इस किले में रात के समय में गया है वो फिर कभी भी वापस लौटकर नही आया है।

रानी रत्नावती कौन थी?

महाराजा छतर सिंह की रानी रत्नावती तीतरवाड़ा की बेटी थी, वह बेहद खूबसूरत थी उस समय राजकुमारी रत्नावती की उम्र 18 साल थी और उनकी खूबसूरती की चर्चाएं दूर दूर तक हुआ करती थी।


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