Serious Allegations Against MS Dhoni: महेंद्र सिंह धोनी पर लगे भेदभाव के गंभीर आरोप। टीम में सिर्फ पसंद के क्रिकेटर्स को मौका। जी हां, महेंद्र सिंह धोनी जिन्होंने न सिर्फ भारतीय क्रिकेट को कामयाबी के आसमान तक पहुंचाया बल्कि अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप, टेस्ट चैंपियनशिप के साथ साथ वर्ल्ड क्रिकेट की नंबर एक टीम भी बनाने का गौरव हासिल किया।
वही महेंद्र सिंह धोनी अब एक बड़े आरोपों में घिर गए हैं और ये आरोप लगाए हैं किसी और शख्स ने नहीं बल्कि खुद टीम इंडिया के ही एक क्रिकेटर ने और इस क्रिकेटर ने दावा किया है कि महेंद्र सिंह धोनी ने विराट कोहली और रोहित शर्मा के लिए इस क्रिकेटर के साथ में भेद भाव किया। महेंद्र सिंह धोनी पर ये गंभीर आरोप लगाए हैं और यह गंभीर आरोप लगाने वाले क्रिकेटर हैं।
किस क्रिकेटर ने लगाए MS Dhoni पर गंभीर आरोप
2008 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में अपना इंटरनैशनल डेब्यू करने वाले मनोज तिवारी, मनोज तिवारी जिन्होंने हाल ही में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है, उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी पर यह बड़ा आरोप लगाया है और उन्होंने कहा है कि जहां रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे उस दौर में आउट ऑफ फॉर्म क्रिकेटर्स को धोनी ने बार बार एक के बाद एक कई मौके दिए तो वहीं उन्हें शतक बनाने के बावजूद टीम से ड्रॉप कर दिया गया।
उनके करियर को खत्म करने की कोशिश की गई। तो क्या कहा मनोज तिवारी ने इस बार अपने इस सनसनीखेज दावे में। अपनी रिपोर्ट में हम आपको बताते है।
बिहार के खिलाफ अपना आखिरी रणजी ट्रॉफी मुकाबला खेलने के साथ ही क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास लेने वाले मनोज तिवारी ने पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मनोज तिवारी ने दावा किया है कि महेंद्र सिंह धोनी ने जहां उन्हें शतक बनाने के बावजूद टीम से ड्रॉप कर दिया गया तो वहीं आउट ऑफ फॉर्म होने के बावजूद विराट कोहली और रोहित शर्मा को धोनी की तरफ से बार बार मौके दिए गए।
आरोप में मनोज तिवारी ने क्या कहा?
अपने सनसनीखेज आरोप में तिवारी ने कहा, जब भी मौका मिले तो मैं उनसे सुनना चाहता हूं। मैं एमएस धोनी से पूछना चाहता हूं कि शतक बनाने के बाद मुझे टीम से बाहर क्यों कर दिया गया। खासकर ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे पर जहां कोई भी रन नहीं बना रहा था। ना ही विराट कोहली, ना रोहित शर्मा और ना ही सुरेश रैना।
अब मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। आपको बता दें कि मनोज तिवारी ने अपने इंटरनैशनल करियर में टीम इंडिया के लिए सिर्फ 12 वनडे मैच खेले हैं। इस दौरान उनका डेब्यू भी धोनी की कप्तानी में हुआ था। वैसे मनोज तिवारी यहां पर जिस शतकीय पारी का जिक्र कर रहे हैं, वह शतक उन्होंने चेन्नई में वेस्ट इंडीज की टीम के खिलाफ बनाया था।
इस मैच में मनोज तिवारी के बल्ले से नॉटआउट 104 रनों की पारी देखने को मिली थी और वह टीम इंडिया की जीत के अहम किरदार रहे थे और इस पारी के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का भी अवॉर्ड दिया गया था। वैसे मनोज तिवारी को इस बात का भी अफसोस है कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 10,000 से ज्यादा रन बनाने के बावजूद भारत के लिए उन्हें कभी भी टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिल पाया। कहीं ना कहीं मनोज तिवारी ने इसके पीछे भी महेंद्र सिंह धोनी के साथ साथ सेलेक्शन कमेटी पर बड़े आरोप लगाए हैं।
मुझे भारत के लिए टेस्ट कैप नहीं मिली। जब मैंने 65 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे तब मेरी बैटिंग औसत 65 के आसपास थी। तब ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारत का दौरा किया था और मैंने एक फ्रेंडली मैच में 130 रन बनाए थे। फिर मैंने इंग्लैंड के खिलाफ एक फ्रेंडली मैच में 93 रन बनाए। मैं बहुत करीब था, लेकिन उन्होंने मेरी बजाय युवराज सिंह को चुना। पहले टेस्ट कैप नहीं मिलना और फिर शतक बनाने के बाद मुझे 14 मैचों के लिए बाहर कर देना ऐसा है जैसे कोई आत्मविश्वास में जब अपने चरम पर हो और कोई उसे नष्ट कर दे। यह उस खिलाड़ी को मारने जैसा है।
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अब सवाल यह नहीं है कि मनोज तिवारी, विराट कोहली या फिर रोहित शर्मा में से बेहतर बल्लेबाज कौन है, क्योंकि क्रिकेट के आंकड़े इस सवाल का जवाब खुद ब खुद देते हैं। यहां पर जो सवाल है वह यह है कि सही वक्त पर क्या सही मौका मनोज तिवारी को मिला या फिर वाकई में वह भेदभाव का शिकार बने। वैसे एक और सच्चाई यह भी है कि अगर उन्हें टीम इंडिया से ड्रॉप कर भी दिया गया था तो भी उनके पास में टीम इंडिया में कमबैक के लंबे अरसे तक कई मौके थे। इस बीच उन्होंने आईपीएल में भी कई सीजन तक लगातार क्रिकेट खेली।
लेकिन जहां मनोज तिवारी इक्का दुक्का बड़ी पारियां खेलने में कामयाब रहे तो वहीं उनके बल्ले में कंसिस्टेंसी कभी भी नहीं थी। जो कि टीम इंडिया में उनके कमबैक के लिए एक बड़ी वजह साबित हो सकती थी। ऐसे में मनोज तिवारी का अपने सिलेक्शन न किए जाने पर भले ही यहां पर महेंद्र सिंह धोनी पर बड़े आरोप लगाने वाली बात एक सनसनीखेज सवाल खड़े करती हो, लेकिन यह बात साफ है कि मनोज तिवारी को खुद भी अपने गिरेबान में देखना चाहिए।
क्योंकि उनकी भी बल्लेबाजी की जो कंसिस्टेंसी थी वह वैसी नहीं थी जिसके दम पर वह रोहित शर्मा, विराट कोहली या फिर सुरेश रैना की जगह टीम इंडिया में शामिल हो पाते। वैसे आपको क्या लगता है कि क्या वाकई में मनोज तिवारी के साथ उनके करियर के बेस्ट दिनों में कुछ ज्यादती हुई, भेदभाव हुआ? क्या वह टीम इंडिया के लिए और ज्यादा इंटरनैशनल क्रिकेट खेल सकते थे?