करवा चौथ का व्रत हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख व्रतों में से एक माना गया है। यह व्रत मुख्यतः सुहागिन महिलाओं द्वारा किया खुशहाल वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला रखते हैं, जिसका पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। सरगी भी इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में जो पहली बार करवा चौथ का व्रत कर रहीं हैं उनके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि सरगी आखिर कौन देता है?अगर सास ना हो तो सरगी कौन देगा? आइए इस पोस्ट में हम आपको बताते हैं।
सास नहीं है तो सरगी कौन दे सकता है?
करवा चौथ के दिन सास अपनी बहू को सरगी देती हैं, जिसमें सुहाग का सामान, फल, मिठाई आदि शामिल रहता है। सरगी के साथ साथ सास द्वारा बहू को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद भी दिया जाता है।
अगर किसी महिला की सास नहीं है तो यह रस्म जेठानी या ननद भी निभा सकती हैं। लेकिन अगर ऐसा कर पाना भी संभव नहीं है तो परिवार की कोई बड़ी महिला आपको सरगी भेंट कर सकती हैं। लेकिन अगर आप अपने घर या फिर परिवार से दूर रहती हैं तो ऐसे में सरगी आप खुद ही बनाकर खा सकती हैं।
वहीं करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले यानि की मध्यरात्रि 03:00 बजे से लेकर 04:00 बजे तक सरगी का सेवन कर लेना चाहिए। ब्रह्ममुहूर्त में भी सरगी का सेवन करना अच्छा माना गया है। ध्यान रहे कि सरगी में तेल मसाले वाली चीजें न हों, वरना व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलेगा।
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