Saffron Farming In Hindi:
दोस्तो केसर जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में किया जाता है और केसर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा मिठाई, दूध, खीर में किया जाता है. केसर एक प्रकार का मसाला होता है जिसे पूरी दुनिया का सबसे महंगा मसाला भी माना जाता है और जिसे सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस्तेमाल करती है. दोस्तो केसर इतना महंगा होता है कि इसके आगे चांदी की कीमत भी फीकी पड़ जाती है और कश्मीरी केसर International Market में तेजी से 3 से 5 लाख प्रति किलो के हिसाब से बिकता है.
और कश्मीरी केसर की डिमांड भारत से ज्यादा विदेशों में होती है और इसकी क्वालिटी को देखकर इसकी बोली भी लगाई जाती है लेकिन क्या आप जानते है जो केसर चांदी से भी ज्यादा महंगा होता है उसे उगाया कैसे जाता है उसकी खेती कैसे की जाती है. दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे केसर की खेती कैसे की जाती है और कश्मीरी केसर की क्या खासियत होती है. जिस वजह से ये इतना ज्यादा महंगा बिकता है.
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केसर की खेती कहाँ पर होती है?(Kesar Ki Kheti Kahan Hoti Hai)
सबसे पहले आपको बता दे की केसर की खेती ऐसे ही कही पर नही की जा सकती और ऐसा इसलिए क्योंकि केसर की खेती करने के लिए एक Specific वातावरण और तापमान की जरूरत पड़ती है और जो दुनिया के कुछ गिने चुने इलाको में ही Maintain रहता है. दुनिया में सबसे ज्यादा केसर की खेती Iran में की जाती है. उसके बाद Itali, Pakistaan, Turkistan, Greece, China और भारत में भी केसर की खेती की जाती है और भारत में केसर सब जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सो में ही उगाया जाता है.
केसर की खेती के लिए तापमान ( Kesar Ki Kheti Ke Liye Temperature)
बता दे कि केसर सर्दी, गर्मी, बारिश तीनो मौसम में उगाई जा सकती है लेकिन विशेष रूप से केसर की खेती बर्फीले इलाको में ही हो सकती है क्योंकि वहां का वातावरण गर्मी के मौसम में भी काफी ठंडा रहता है. जब सर्दी के मौसम में बर्फ पड़ने लगती है तो उस समय केसर के पौधे में फूलो की वृद्धि कम हो जाती है.
लेकिन फिर जैसे ही गर्मियों के मौसम की शुरुआत होती है और जमीन सूखने लगती है तब काफी तेजी से केसर के पौधे में फूल आने लगते है और आपको बता दे की 20 डिग्री सेल्सियस तापमान केसर के पौधों के लिए सबसे सही होता है और साथ ही केसर की खेती करने के लिए सही मिट्टी का होना भी जरूरी होता है.
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केसर की खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाले मिट्टी(Saffron Farming In Hindi)
केसर की खेती के लिए रेतीली, चिकनी, बलुई और दोमट मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा केसर की खेती के लिए जल भराव वाली जगह नहीं होनी चाहिए यानी की जिस जगह पर पानी भरा न रह सके. क्योंकि जल भराव की स्थिति में इनके बीज सड़कर नष्ट हो जाते है और 10 से 20 डिग्री Temperature पर इनके पौधे फूल बनने लगते है. यही कारण है इनकी अच्छी खेती होने का.
दोस्तो दुनिया में जितना केसर उगाया जाता है उसका 80 प्रतिशत हिस्सा ईरान और स्पेन जैसे देश उगाते है. अब क्योंकि केसर ज्यादातर बर्फीले इलाको में ही उगाया जाता है तो इस वजह से इसकी खेती कश्मीर के कुछ हिस्सो में भी की जाती है और इंटरनेशनल मार्केट में कश्मीरी केसर की अच्छी खासी डिमांड है.
इन पौधों पर बैंगनी, नीले और सफेद रंग के फूल निकलते है. इन फूलों के अंदर 2 से 3 लाल और नारंगी रंग की पंखुड़ियां होती है और फूलो के अंदर मौजूद लाल और नारंगी रंग की पंखुड़ियां ही केसर होती है और आपको जानकर हैरानी होगी की 75000 फूलो में सिर्फ 450 ग्राम ही केसर प्राप्त होता है.
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केसर की खेती कैसे होती है?(Kesar Ki Kheti Kaise Hoti Hai)
कश्मीरी केसर को उगाने के लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी को तैयार किया जाता है. जिसमे कई तरह की उर्वरक और खाद मिलाया जाता है. अब खेत को पूरी तरह से तैयार कर लेने के बाद अब बारी आती है कश्मीरी केसर के बीज को लगाने का सबसे सही समय जुलाई से सितंबर के बीच का होता है.
और ऐसा भी माना जाता है ये अगस्त का महीना कश्मीरी केसर को लगाने का सबसे अच्छा तरीका होता है और ऐसा इसलिए अगर इस समय बीज को बो दिया जाए तो सर्दियां शुरू होने से पहले ही इनमे फूल निकल आते है और ज्यादा सर्दी न होने की वजह से फूलो को ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है.
और इसी वजह से बरसात के खत्म होते ही केसर के बीज को खेतो में बो दिया जाता है. अब इन बीजों को लगाने के बाद ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो क्या होगा? अगर कोई ऐसा करता है तो कुछ भी नहीं होगा यानी हम केसर के बीज को खेतो में बोने के बाद उन्हें ऐसे ही छोड़ देते है तो हमे कुछ भी नहीं मिलेगा. क्योंकि असली काम बीज बोने बाद शुरू होता है इसमें बीज बोने के बाद कई तरह के उर्वरक गिराए जाते है जिसमे गाय के गोबर से बनी खाद उर्वरक के रूप में इस्तेमाल की जाती है.
हालांकि कुछ लोग रासायनिक उर्वरकों का भी इस्तेमाल करते है इसके अलावा आपको बता दे की केसर के बीज अंकुरित होने के बाद इनकी तुरंत निराई और कुराई की जाती है और पहली बार निराई कुराई करने के बाद भी 20 दिन के बाद फिर से निराई कुराई की जाती है ऐसा करने से केसर के पौधे अच्छे से बढ़ने लगते है. केसर पौधे लगाए जाने के बाद 3 से 4 महीने में इनमे केसर उगने लायक हो जाता है और इनके छोटे छोटे पौधों में बैंगनी, नीले और सफेद रंग फूल लगने लगते है.
एक लाख 50 हजार फूलों में कितना केसर निकलता है?
इन फूल के बीच में ही गहरी नारंगी रंग की पंखुड़ियां होती है और ये पंखुड़ियां ही केसर होती है और जब ये पंखुड़ियां गहरी नारंगी रंग की हो जाती है तब इन्हें फूलो से अलग कर लिया जाता है और कही छायादार जगह पर सुखाने के लिए रख दिया जाता है और दोस्तो आपको जानकर हैरानी होगी कि एक लाख 50 हजार फूलो में से लगभग 1 किलो ग्राम कश्मीरी केसर मिलता है और शायद यही वजह है की केसर के दम चांदी से भी ज्यादा होने के. तो दोस्तो इस तरह कश्मीरी केसर की खेती की जाती है.
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FAQ : Saffron Farming In Hindi
कश्मीरी केसर की कीमत 3 से 5 लाख हो सकती है.
कश्मीरी केसर के बीज को लगाने का सबसे सही समय जुलाई से सितंबर के बीच का होता है.
इसके पुष्प की वर्तिकाग्र (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं.
केसर तैयार होने में 3 से 4 महीने लग जाते है.
दोस्तो आपको कश्मीरी केसर(Saffron Farming In Hindi) के बारे में जानकर कैसा लगा हमे कॉमेंट में जरूर बताएगा. आपको जिस भी टॉपिक पर आर्टिकल चाहिए कॉमेंट में जरूर बताएगा और आर्टिकल को शेयर करना ना भूले और ऐसी ही अपडेट के लिए हमारी साइट The Hindi Fact का नोटीफिकेशन चालू कर ले. आपका जो भी सवाल है नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में पूछ सकते हो.
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