Titanic Real Story In Hindi:
दोस्तो जब भी दुनिया के सबसे बड़े जहाज की बात आती है तो हमारे मन में Titanic Ship का नाम जरूर आता है जो कि 17 मंजिल बिल्डिंग से भी ऊंचा था लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतना बड़ा जहाज अपनी पहली यात्रा में ही पानी में कैसे डूब गया क्या ये Natural घटना थी या फिर इसके पीछे और कोई कारण था. आखिर क्या हुआ था उस दिन जिस दिन टाइटैनिक डूबा था. इन सभी सवालों के जवाब हम आपको आज के इस आर्टिकल में बताने वाले है.
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Titanic जहाज की कहानी(Titanic Real Story In Hindi)
दोस्तो टाइटैनिक अपने समय का सबसे बड़ा समुंद्री जहाज था और यह उस समय इंसानों द्वारा बनाई गई सबसे बड़ी चीज भी थी. टाइटैनिक जहाज को 31 मार्च 1909 को 3000 लोगो ने एक साथ मिलकर बनाना शुरू किया और फिर 26 महीनो में यानी की 31 मई 1911 में बनाकर तैयार कर दिया हालांकि इसके निर्माण के दौरान 250 से ज्यादा लोगो को चोटे आई थी और 2 लोग तो मारे भी गए थे.
ये जहाज इतना बड़ा था कि इसके आज के समय के 3 फुटबॉल स्टेडियम आसानी से आ जाते है और जिन दिन यह बनकर तैयार हुआ था यानी कि 31 मई 1911 को इसे देखने के लिए एक लाख से भी ज्यादा लोग आए थे. इसके बाद इसके Decoration और चिमनियां बनाने का काम अप्रैल 1912 तक चलता रहा और इसी महीने इसे अपनी पहली यात्रा के लिए भी जाना था जो कि इसकी आखिरी यात्रा भी थी. टाइटैनिक की ज्यादा से ज्यादा Speed 43 किलोमीटर प्रति घंटे की थी.
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जहाज में लगी सिटी की आवाज
इसमें लगी सिटी की आवाज इतनी तेज थी कि इसे 16 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता था. टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड के Southampton से न्यूयॉर्क की ओर रवाना हुआ. चार दिन तक सब ठीक ठाक चलता रहा लेकिन 14 अप्रैल 1912 को रात 11 बजकर 40 मिनट पर ये एक Iceberg से टकरा गया और इसके निचले हिस्से में पानी भरना शुरू हो गया.
जहाज के Iceberg से टकराते ही जहाज पर खोफ का माहौल पैदा हो गया लेकिन संकट के समय कुछ समझदार लोग आगे आए और उन्हे दिलासा देते हुए कहा डरने की जरूरत नही है हमे हिम्मत से काम लेना होगा. फिर जहाज पर मोजूद लाइफबोट से बच्चो और औरतों को सुरक्षित उतारा जाने लगा. Iceberg से टकराने के लगभग 2 घंटे 40 मिनट बाद यह जहाज पूरी तरह से समुंद्र में डूब गया.
एक अनुमान के अनुसार जहाज पर 3545 लोग सवार थे. जिनमे से 2685 यात्री थे और 860 Crew मेंबर्स से थे और दुख की बात तो ये है कि इनमे से 1533 लोग अपनी जान गवां बैठे थे. टाइटैनिक जहाज पर सिर्फ 20 लाइफबॉट ही थी जो केवल 2 प्रतिशत लोगो को बचाने के लिए काफी थी लेकिन शायद अगर जहाज पर ज्यादा Lifeboats होती तो इतने लोगो की जान नहीं जाती.
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Titanic के टकराने के 2 हफ्ते बाद हिमखंड(Iceberg) हुआ नष्ट
दोस्तो इस दुर्घटना में मरे सिर्फ 306 लोगो की ही लाशें मिल पाई थी बाकी लोगो की लाश का तो पता ही नही चला वो कहा गई. टाइटैनिक जिस पानी मे डूबा था उस पानी का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस था. जिसमे कोई भी व्यक्ति 15 मिनट से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता था. जहाज के धीरे धीरे डूबने की खबर मिलने के बावजूद भी इसके म्यूजिशियन इसके डूबने के वक्त तक गाना बजाते रहे.
ताकि कुछ समय बाद मरने जा रहे लोग अपने आखिरी समय को खुशी से बीता सके. जहाज से टकराने वाला Iceberg लगभग 100फीट ऊंचा था. ये ग्रीनलैंड के ग्लेशियर से आया था. एक अनुमान के अनुसार टाइटैनिक से टकराने वाला Iceberg 10,000 साल पहले ग्रीनलैंड से अलग हुआ था और टक्कर के 2 हफ्ते बाद ही यह नष्ट हो गया था क्योंकि टक्कर से Iceberg को भी काफी नुकसान हुआ था.
Titanic की चौथी चिमनी थी नकली
टाइटैनिक को हर दिन 600 टन कोयले की जरूरत होती थी. इसके 860 Crew Member की टीम में 170 लोगो का काम सिर्फ कोयले को भट्टी में डालना था. इस जहाज की चिमनियों से रोजाना 100 टन धुआं निकलता था. टाइटैनिक में चार बड़ी बड़ी चिमनियां थी. जिनमे सिर्फ 3 से धुआं निकलता था और चौथी चिमनी नकली थी वो केवल जहाज का संतुलन बनाए रखने के लिए बनाई गई थी.
दोस्तो टाइटैनिक दुर्घटना उतरी अटलांटिक सागर में हुई थी और जहाज का मलबा ढूंढने में लगभग 75 साल लग गए थे. काफी कोशिशों के बाद 1 सितम्बर 1985 को टाइटैनिक का मलबा ढूंढ लिया गया. आपको जानकर हैरानी होगी की समुंद्र में टाइटैनिक जहाज दो टुकड़ों में टूटा हुआ पाया गया था और इन दोनो टुकड़ों की आपस में दूरी 600 मीटर थी.
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टाइटैनिक फिल्म का खर्चा टाइटैनिक जहाज से भी ज्यादा
साइंटिस्ट इस बात पर आज तक सहमत नहीं है कि आखिर टाइटैनिक दो टुकड़ों में क्यों बंट गया. क्योंकि उसमे छेद तो एक ही तरफ हुआ था और ये बात ज्यादा मानी जाती है कि शायद समुंद्र की सतह पर एक तरह दबाव बढ़ने से यह टूट गया. दोस्तो यूं तो टाइटैनिक पर कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है लेकिन 1997 में बनी टाइटैनिक फिल्म सबसे ज्यादा चर्चा में रही. इस फिल्म को बनाने का खर्चा उस समय के हिसाब से टाइटैनिक जहाज को बनाने से भी 40 प्रतिशत ज्यादा आया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि टाइटैनिक पर सवार बहुत से लोग ऐसे भी थे जो इसमें यात्रा नहीं करने वाले थे. दरअसल टाइटैनिक की मालिक कंपनी White Star Line ने अपने दो समुंद्री जहाजों की यात्रा कोयले की कमी के कारण रद्द कर दी थी और उसके यात्रियों को टाइटैनिक में सिफ्ट कर दिया था. इस वजह से उन लोगो ने भी अपनी जान गवां दी जो कि टाइटैनिक में सफर नहीं करना चाहते थे.
First Class में सफर करने की फीस 2 लाख से भी ज्यादा
दोस्तो टाइटैनिक में First Class में सफर करने के लिए आज से करीब 100 साल पहले 4,350 डॉलर यानी की 2,70,000 रुपए चुकाने पड़ते थे. वही सेकंड क्लास के लिए 1,750 डॉलर यानी कि करीब एक लाख रुपए देने पड़ते थे और Third Class के लिए करीब 30 डॉलर यानी की 2000 रुपए की रकम चुकानी पड़ती थी. आज के समय में डॉलर की कीमत को देखा जाए तो एक यात्री को इसमें सफर करने के लिए 50 लाख रुपए खर्च करने पड़ते थे.
दोस्तो टाइटैनिक में यात्रियों और Crew Member के खाने पीने का खास इंतजाम था. जहाज पर खाने के लिए 85000 पाउंड मीट, 40000 अंडे, 40 टन आलू, 3500 पाउंड प्याज, 36000 सेब के साथ कई तरह के खाने का सामान भी मोजूद था. जहाज के 860 Crew Member में सिर्फ 23 महिलाएं थी और बाकी सब पुरुष थे. टाइटैनिक जहाज पर 13 नए शादीशुदा जोड़े अपना हनीमून मनाने के लिए आए थे और इस जहाज में 9 कुत्ते भी सवार थे लेकिन इस हादसे में इनमे से 2 ही कुत्ते जिंदा बच पाए थे.
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FAQ : Titanic Real Story in Hindi
14 अप्रैल 1912 को रात 11 बजकर 40 मिनट पर।
269 मीटर थी।
1517 लोग मारे गए और 707 लोग बच गए थे।
1985 में।
दोस्तो ये थी Titanic Real Story in Hindi. मुझे आशा है की आपको यह Titanic की असली कहानी के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा यदि अच्छा लगा तो इसको शेयर जरूर करे और ऐसी ही Amazing Stories के लिए हमारी साइट The Hindi Fact का नोटीफिकेशन चालू कर ले और आपका जो भी सवाल है नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में पूछ सकते है.
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